महेंद्रगढ़
गांव खुडाना के मुख्य मोड़ पर ऐतिहासिक महत्व रखने वाले दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल तोमर के नाम पर बनाए गए ‘महाराजा अनंगपाल तोमर चौक’ का मंगलवार को भव्य उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई। यह कार्यक्रम क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर और तोमर वंश के महान शासक महाराजा अनंगपाल द्वितीय की याद में आयोजित किया गया, जिन्होंने दिल्ली की नींव रखी थी।
दिल्ली के संस्थापक को समर्पित चौक
गांव खुडाना के मुख्य मोड़, जो आकोदा से सतनाली और खुडाना से बास खुडाना जाने वाले मार्ग का प्रमुख जंक्शन है, को अब ‘दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल तोमर चौक’ के नाम से जाना जाएगा। उद्घाटन समारोह में मुख्य रूप से युवा समाजसेवी हैप्पी तंवर खुडाना और स्थानीय गणमान्य लोगों ने भाग लिया। हैप्पी तंवर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “महाराजा अनंगपाल तोमर हमारे पूर्वज थे। उन्होंने 11वीं शताब्दी में दिल्ली को बसाया और उसे ढिल्ली या ढिलीका नाम दिया। उनकी स्मृति में यह चौक स्थापित कर हम अपनी विरासत को सम्मान दे रहे हैं।”उन्होंने आगे बताया कि गांव खुडाना को ‘40सी’ कहा जाता है क्योंकि इस गांव से 40 अन्य गांवों की उत्पत्ति हुई है। इनमें खेडी तलवाना, निंबी, पाली, जाट, भुरजट, झगडोली, पाथेडा, चितलांग, भांडोर, कैमला, सिगड़ी राजपूत, पोता समेत उत्तर भारत और हरियाणा के कई गांव शामिल हैं। गांव खुडाना की स्थापना 1135 ईस्वी में इमरत सिंह ने की थी।
चौक का उद्घाटन करने से पहले सुबह एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर और चारपहिया वाहन शामिल हुए। युवा और बुजुर्गों ने मिलकर महाराजा अनंगपाल तोमर की जयघोष के साथ यात्रा को भव्य रूप दिया। शोभा यात्रा के बाद सुबह 10:15 बजे औपचारिक रूप से चौक का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर प्रधान दिनेश तंवर (बास खुडाना), बिजेंद्र खुडाना, सरपंच प्रतिनिधि डॉ. नरेश सिंह, युवा नेता मंजीत तंवर, सरपंच देशराज पाली, हिमांशु आकोदा, मौजी पहलवान, अशोक तंवर बास खुडाना, प्रमोद तंवर, महासिंह, मोटा पहलवान रोहित, अक्षय, आनंद, अजय समेत सैकड़ों युवा साथी और ग्रामीण मौजूद रहे।
कौन थे महाराजा अनंगपाल तोमर?
महाराजा अनंगपाल तोमर, जिन्हें अनंगपाल द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है, 11वीं शताब्दी में दिल्ली के तोमर वंश के एक महान शासक थे। इतिहासकारों के अनुसार, वे तोमर वंश के 16वें और अंतिम शासक थे, जिनके बाद दिल्ली पर चौहानों ने शासन किया।अनंगपाल तोमर को दिल्ली के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने दिल्ली शहर को बसाने का श्रेय अपने नाम किया। उस समय इस क्षेत्र को "ढिल्ली" या "ढिलीका" कहा जाता था।
दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहर में अनंगपाल का योगदान
अनंगपाल तोमर का योगदान केवल दिल्ली बसाने तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई ऐतिहासिक निर्माण कार्य करवाए, जिनमें शामिल हैं:
• लालकोट किला: दिल्ली का सबसे पुराना किला, जिसे अनंगपाल तोमर ने बनवाया।
• लौह स्तंभ की स्थापना: दिल्ली के महरौली में मौजूद लौह स्तंभ को वर्तमान स्थान पर स्थापित किया। यह स्तंभ मूल रूप से गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय का था।
• अनंग ताल और अनंगपुर बांध: दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र में पानी की आपूर्ति और सिंचाई के लिए इनका निर्माण करवाया।
दिल्ली के नामकरण से जुड़ी प्रसिद्ध कथा
एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, अनंगपाल तोमर ने जब दिल्ली में लौह स्तंभ स्थापित किया, तो एक ब्राह्मण ने उनसे कहा कि यह स्तंभ वासुकी नाग के सिर पर टिका हुआ है और जब तक यह सीधा खड़ा रहेगा, उनका शासन अटूट रहेगा।
राजा ने सत्यता परखने के लिए स्तंभ को खोदने का आदेश दिया। जब स्तंभ निकाला गया तो वह खून से सना हुआ निकला। राजा ने स्तंभ को पुनः गाड़ने का आदेश दिया, लेकिन वह पहले जैसा सीधा नहीं रह पाया और ढीला रह गया। इसी कारण इस क्षेत्र का नाम ‘ढिल्ली’ पड़ा, जो समय के साथ ‘दिल्ली’ बन गया।
ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान देने का प्रयास
कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि महाराजा अनंगपाल तोमर जैसे महान शासकों की गाथा आज की पीढ़ी को बताना बेहद जरूरी है। हैप्पी तंवर ने कहा, “दिल्ली को बसाने वाले महाराजा अनंगपाल तोमर जैसे महापुरुषों का इतिहास नई पीढ़ी तक पहुंचे, इसी उद्देश्य से यह चौक स्थापित किया गया है। आने वाले समएय में इस चौक को और भी आकर्षक रूप दिया जाएगा, ताकि लोग यहां आकर हमारे इतिहास को जान सकें।”
स्थानीय ग्रामीणों का भी मानना है कि इस तरह के प्रयासों से समाज में अपनी जड़ों के प्रति गर्व और सम्मान की भावना जागृत होती है। बुजुर्ग ग्रामीणों ने इसे गांव और पूरे क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया।
भविष्य में सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण की योजना
युवाओं ने कार्यक्रम के दौरान घोषणा की कि महाराजा अनंगपाल तोमर और तोमर वंश की ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के लिए भविष्य में और भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, इतिहास से जुड़ी स्मारक स्थलों के संरक्षण के लिए प्रशासन से सहयोग मांगा जाएगा।
गांव खुडाना मोड़ पर ‘दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल तोमर चौक’ का उद्घाटन केवल एक नामकरण नहीं है, बल्कि यह हमारी जड़ों से जुड़ने और अपने गौरवशाली इतिहास को याद करने का एक प्रयास है। महाराजा अनंगपाल तोमर की वीरता और दूरदर्शिता को सलाम करते हुए यह चौक आने वाली पीढ़ियों को उनकी महान गाथा याद दिलाता रहेगा।