बुधवार, 5 नवंबर 2025

हरियाली संग बंधे पवित्र रिश्ते — बसई गांव में बिना दहेज की अनोखी शादी बनी मिसाल -नीरज व ट्विंकल ने पांच पौधे लगाकर दिया नई सोच को जन्म

 

महेंद्रगढ़ 

क्षेत्र के गांव बसई में एक ऐसी अनोखी शादी हुई जिसने पूरे इलाके में नई मिसाल कायम कर दी। यहां सेवानिवृत्त सूबेदार श्रीराम यादव की पोती और पूर्व कमांडो नरेंद्र यादव, सदस्य आदर्श युवा मंच बसई की पुत्री ट्विंकल का विवाह गांव जोनावास निवासी नीरज पुत्र रामबीर यादव के साथ हुआ। इस विवाह की सबसे बड़ी विशेषता रही कि वर पक्ष ने दहेज लेने से साफ इनकार करते हुए दहेज के स्थान पर केवल पाँच पौधे लगाने का आग्रह किया।

लड़के के दादा नित्यानंद यादव, जो जोनावास गांव के पूर्व सरपंच रह चुके हैं, ने कहा कि यह विवाह समाज को प्रेरणा देने वाला है। विवाह स्थल पर वर-वधू ने स्वयं अपने हाथों से पाँच पौधे लगाए और यह संकल्प लिया कि हर वर्ष अपनी वैवाहिक वर्षगांठ पर नए पौधे लगाकर उनका पालन-पोषण करेंगे।


ब्राह्मण सभा के कॉलेजियम सदस्य एवं आदर्श युवा मंच के कोषाध्यक्ष समाजसेवी राजकुमार शर्मा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं, और इन्हें लगाकर यह परिवार न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहा है, बल्कि समाज को सादगी और जागरूकता का संदेश भी दे रहा है।”

सवेरा स्वयंसेवी संस्था के प्रदेश अध्यक्ष मनोज गौतम ने कहा कि “जहाँ दहेज नहीं, वहाँ सच्चा स्नेह है और जहाँ पेड़ लगते हैं, वहाँ जीवन गूँजता है।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस दहेज-मुक्त पहल को आगे बढ़ाएँ और इसे एक आंदोलन का रूप दें।

भाजपा युवा नेता एवं विधायक पुत्र राहुल यादव ने इस शादी को “पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सुधार का सुंदर संगम” बताते हुए नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि यह विवाह सादगी, संस्कार और प्रेरणा का प्रतीक है।

विवाह समारोह में पूर्व चेयरमैन डालू सिंह, सेवानिवृत्त प्राचार्य विष्णु जोशी, जनता स्कूल बसई के प्राचार्य महेंद्र सिंह यादव, पूर्व पंच सूबे सिंह यादव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति व ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल को समाज के लिए एक नई दिशा बताया।

इस दहेज-मुक्त विवाह ने यह साबित कर दिया कि “हमने दहेज नहीं, पाँच पेड़ लगाए हर रिश्ते को हरियाली से सजाए।” यह शादी न केवल एक पारिवारिक आयोजन रही, बल्कि समाज में यह संदेश भी छोड़ गई कि पेड़ लगाना सबसे बड़ा दान है और दहेज सबसे बड़ी बुराई।

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