महेंद्र गढ़
जिले के गांव पाली में स्थित बाबा जयरामदास धाम क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के प्रदेशों के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। शनिवार को मेला अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में पहुंचकर मत्थ टेक मन्नत मांगी। वहीं मेले में भी काफी चहल-पहल नजर आई। बच्चें व महिलाएं दुकानों पर सामान की खरीददारी करते हुए व मेले लगे झुलों का आनंद लेते हुए नजर आए।
बता दे कि देश के महान संत-महात्माओं में शुमार बाबा जयराम दास का जन्म गांव पाली में किसान श्योजी सिंह व मातेश्वरी ओदाबाई के घर 7 अक्टूबर 1862 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ। बचपन से ही वे दयालु एवं मेहनती थे। एक दिन वे पारिवारिक सुख, मोह-माया को त्याग घर छोड़कर चल दिए। ब्रह्मवेला में ध्यानस्त होकर इधर-उधर जंगल व पहाड़ों में भ्रमण करते हुए बाबा बौंद गांव के गहरे जंगल के बीच किलसर जोहड़ किनारे पहुंचे। वहां बाबा चांदोदास ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। गुरु चरणों में बाबा जयराम दास ईश्वर साधना की सीढि़यां चढ़ने लगे। निरंतर योग साधना एवं भक्ति में विलीन होकर अपने आशीर्वाद से देशभर के लाखों दीन दुखियों के दुखों का हरण किया। बाबा जयराम दास ने 28 जनवरी 1942 को समाधि ग्रहण कर ली और इस दुनिया को त्याग, दया, धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश दे गए। बाबा के दिए मार्गदर्शन एवं सिद्धांतों का पालन करते हुए प्रत्येक माघबदी एकादशी को बाबा के समाधी स्थल पर मेला लगता है।
बाबा जयरामदास महाराज के जीवन के कुछ चमत्कार
वैसे तो बाबा के हजारों चमत्कार है। लेकिन हमारे बडे बुजुर्गो ने बताया कि एक बार बुढ़ी माँ बाबा के नाम का स्मरण करते-करते उन्हें खोजती रही और उनके पैर खराब हो गए। उनका चलना फिरना बंद हो गया। बाबा उन्हें दर्शन देते है और वह बुढ़िया बाबा के समक्ष रोने लग जाती है। हे बाबा मेरे पैरो को ठीक कर दो और बाबा ने अपनी ही भाषा में बोलते हुए कहा ले सासू मेरी दोनों टांग ले ले। वह औरत बिल्कुल ठीक हो गई और बाबा वर्तमान में धाम में जो जाल का वृक्ष है उसके ठीक नीचे झोपड़ी में बैठ गए। ऐसी अनेक चमत्कारी घटनाएं है। कहते है एक बार एक भक्त का बेठा लाईलाज बेमारी का शिकार हो जाता है। वेद और डॉक्टरों से दिखाने के बाद भी उसका कोई ईलाज नहीं होता है। वह भक्त बाबा को ढुढते-ढुढते पाली पहुंचता है व सारा दिन बाबा को खोजता रहता है। रात होने पर भी बाबा उसे नहीं मिलते है तो वह बाबा का स्मरण करता है। बाबा उसके सामने प्रकट हो जाते है। फिर वह व्यक्ति अपनी व्यथा बाबा को सुनाता है और अपने बच्चों को जीवनदान देने की प्रार्थना करता है। बाबा अपने ही ध्यान में उस बच्चें की कमर में दो थप्पड़ लगाते है। बच्चा उठकर चलने लग जाता है और अपने पिता से भोजन की मांग करता है। बाबा अपनी ही भाषा में कहते है सुसरा न रोटी देदे। जीव गो तो रोटी मांगगो। और बच्चा स्वस्थ्य हो जाता है और अपना जीवन व्यतित करता है।
यहां हर वर्ष जनवरी माह में बड़ा मेला लगता है। इसके साथ ही बाबा के सम्मान में यहां उत्तरी भारत का सबसे बड़ा क्रिकेट महाकुंभ करवाया जाता है, जिसमें कई प्रदेशों की ख्यातिलब्ध क्रिकेट टीमें भाग लेती है। दो सप्ताह तक चलने वाले इस महाकुंभ में विजेता टीमों को चांदी की ट्राफी सहित आकर्षक इनाम दिए जाते हैं। ज्ञात रहे कि बाबा जयराम दास की क्रिकेट प्रतियोगिता सन 1981 में शुरू हुई थी पहले टूर्नामेंट में मात्र 7 टीमों ने हिस्सा लिया था उस समय एंट्री फीस केवल 11 रुपए थी फाइनल मैच में बधवाना व गुढ़ा का मुकाबला हुआ जिसमें बधवाना प्रथम स्थान पर रही उस समय प्रथम इनाम एक गिलास व उपविजेता टीम को एक कटोरी इनाम दी गई थी सन 1981 में एक गिलास से शुरू हुआ यह शिलशिला बाबा के आशीर्वाद से आज उत्तरी भारत की सबसे बड़ी प्रतियोगिता के रूप में जाना जाता है जिसमें प्रथम इनाम के रूप में 201000 नगद व अाधा किलो चांदी का कप दिया जाता है। इसके साथ-साथ मैन ऑफ द सीरीज विजेता खिलाड़ी को एक हीरो बाइक दी जाती है। इस वर्ष क्रिकेट प्रतियोगिता में नंदगांव भिवानी की टीम लगातार तीसरी बार प्रतियोगिता की विजेता रही है। यहाँ का ग्राउंड बहुत ही जबरदस्त है।
इस खेल के मैदान में लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से पैविलियन का निर्माण करवाया गया है ताकि क्रिकेट प्रेमी प्रतियोगिताओं का आनंद पैविलियन में बैठकर ले सके। यह सब बाबा के भगतो के सहयोग व बाबा के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है।
बाबा जब इस आश्रम में साधना में लीन रहते थे तो पीपल के वृक्ष के नीचे केवल एक झोंपड़ी ही थी। धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की बाबा में बढ़ती आस्था के चलते 79 वर्षों में विशाल धाम का रूप ले लिया। मंदिर कमेटी एवं बाबा के भक्तों द्वारा सैंकड़ों कमरों से सुसज्जित भवन के साथ-साथ एक धर्मशाला एवं बाबा की 23 फुट ऊंची मूर्ती का निर्माण कराया गया। अब मंदिर परिसर में लगभग 35 एकड़ में वाटिका एवं बगीचा तथा पार्क का भी निर्माण हो चुका है। इसके अलावा बाबा धाम पर एक मैरिज पैलेस का भी निर्माण किया गया है, जो कि लगभग 40 लाख की लागत से बनाया गया है। बाबा धाम पर उतरी भारत की सबसे बड़ी क्रिकेट की प्रतियोगिता का महाकुंभ ही होता है क्रिकेट ग्राउंड में 51 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण भी किया गया है बाबा धाम पर लगभग 100 बाई 70 फुट का एक भंडारा ग्रह भी बनाया गया है जिसमें एक साथ में लगभग एक हजार व्यक्ति बैठ कर प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। बाबा धाम पर दो सार्वजनिक धर्मशालाएं दो मंजिला बनाई गई हैं। एक धर्मशाला वीआईपी विश्रामगृह भी बनाया हुआ है। बाबा के मंदिर के पीछे एक लगभग ग्रामीणों के अनुसार हजार साल पुराना पीपल का पेड़ व बाबा का एक तालाब भी है। बाबा धाम पर पोधो की लुप्त होती प्रजाति जैसे इंडोख जाल आदी भी बाबा धाम के आसपास देखने को मिल जाते हैं।अब बाबा जयराम दास धाम पर मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चला हुआ है जो कि लगभग चार करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। यह पैसा बाबा के सभी भक्तगण चंदे के रूप में देंगे, जिससे इसका निर्माण होगा। इसके साथ-साथ बाबा धाम का लगभग 20 एकड़ में इमारती लकड़ी फल फ्रूट पुष्टि व औषधीय पौधे लगाए गए हुए हैं। बाबा के प्रांगण में भारत का सबसे ऊंचा लगभग 73 फुट का 9 मंजिल एक पक्षी घर भी बनाया हुआ है। जिसमें लगभग 3000 के आसपास पक्षी अपना बसेरा कर करते है। इस समय मंदिर प्रांगण में करीब 4 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के जिर्णोधार का कार्य भी करवाया गया है। जिसके बाद से मंदिर की सुन्दरता को चार चांद लग गए है।
पाली स्थित बाबा जयराम दास धाम पर हाल ही में श्रद्धालुओं द्वारा बनवाए गए 8 मंजिल के 73 फुट ऊंचे पक्षी घर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। जो क्षेत्र सहित प्रदेश में चर्चा का विषय भी बना हुआ है। इस पक्षी घर के निर्माण में लगभग 15 लाख रुपए खर्च हुए है जिसमें करीब 3000 पक्षियों को अपना आश्रय मिलेगा। इस पक्षी घर के नीचे एक 23 X 23 फुट का चबूतरा बनाया गया है, साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में युवाओं का ध्यान रखते हुए एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। जिसका निर्माण गुजरात के कारीगरो द्वारा किया गया है। इसमें जो सामग्री लगी है वह सिद्धपुर से मंगाई गई है और 38 दिन में पक्षी टावर का कार्य पूर्ण हो गया। उनका दावा है कि यह पक्षी घर भारत का सबसे ऊंचा पक्षी घर है यह सारे इलाके के लिए एक गर्व का विषय है। जिसमें सबसे नीचे चिड़िया जैसे छोटे जानवर के लिए घोंसले बनाए गए हैं ऊपर की 7 मंजिलों में कबूतर, कोयल, कौवे, गुरशल, तोता, मैंना, मोडी, कटफोडा जैसे जानवर अपना आशियाना बनाएंगे। इस पक्षी घर में जो घोसले बने हैं उनको तापमान को ध्यान में रखकर बनाया गया है व पक्षियों के लिए दाने पानी की उपयुक्त व्यवस्था की गई है।
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