सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

देश व प्रदेश के लाखों लोगाें की आस्था का केन्द्र है बाबा जयराम दास धाम - 6 फरवरी 2024 को लगने वाले मेले को लेकर सभी तैयारियां हुई पूर्ण -1981 में शुरू की गई क्रिकेट प्रतियोगिता भी बनी अब उत्तर भारत की सबसे बड़ी क्रिकेट प्रतियोगिता

 


महेंद्रगढ़ 5 फरवरी 2024

जिले के गांव पाली में स्थित बाबा जयरामदास धाम क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के प्रदेशों के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। बाबा के धाम पर 6 फरवरी को लगने वाले विशाल मेले को लेकर भी लगभग सभी तैयारिया पूर्ण कर ली गई है। बता दे कि देश के महान संत-महात्माओं में शुमार बाबा जयराम दास का जन्म गांव पाली में किसान श्योजी सिंह व मातेश्वरी ओदाबाई के घर 7 अक्टूबर 1862 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ। बचपन से ही वे दयालु एवं मेहनती थे। एक दिन वे पारिवारिक सुख, मोह-माया को त्याग घर छोड़कर चल दिए। ब्रह्मवेला में ध्यानस्त होकर इधर-उधर जंगल व पहाड़ों में भ्रमण करते हुए बाबा बौंद गांव के गहरे जंगल के बीच किलसर जोहड़ किनारे पहुंचे। वहां बाबा चांदोदास ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। गुरु चरणों में बाबा जयराम दास ईश्वर साधना की सीढि़यां चढ़ने लगे। निरंतर योग साधना एवं भक्ति में विलीन होकर अपने आशीर्वाद से देशभर के लाखों दीन दुखियों के दुखों का हरण किया।

बाबा से जुड़ी अनेक किवदंतियां हैं। एक बार बाबा के पास एक व्यक्ति अपने अपाहिज बच्चे को लेकर पहुंचा तो बाबा ने उसकी मनोस्थिति भांपते हुए कहा कि मैं कहां से दूं इसको टांगें? इतनी सुनकर व्यक्ति बाबा के चरणों में नतमस्तक हो गया। बाबा ने अपाहिज बच्चे को लात मारते हुए कहा कि ये लो मेरी टांगें ले लो और इसके बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। इस बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बाबा ने अपने पैरों का त्याग कर त्यागी के नाम से प्रसिद्ध हुए। बाबा जयराम दास ने 28 जनवरी 1942 को समाधि ग्रहण कर ली और इस दुनिया को त्याग, दया, धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश दे गए। बाबा के दिए मार्गदर्शन एवं सिद्धांतों का पालन करते हुए प्रत्येक माघबदी एकादशी को बाबा के समाधी स्थल पर मेला लगता है।

धाम ने 82 वर्षो में तय किया एक झोंपड़ी से सुंदर भवन बनने तक का सफर 

बाबा जब इस आश्रम में साधना में लीन रहते थे तो पीपल के वृक्ष के नीचे केवल एक झोंपड़ी ही थी। धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की बाबा में बढ़ती आस्था के चलते 82 वर्षों में विशाल धाम का रूप ले लिया। मंदिर कमेटी एवं बाबा के भक्तों द्वारा सैंकड़ों कमरों से सुसज्जित भवन के साथ-साथ एक धर्मशाला एवं बाबा की 23 फुट ऊंची मूर्ती का निर्माण कराया गया। मंदिर परिसर में लगभग 35 एकड़ में वाटिका एवं बगीचा तथा पार्क का भी निर्माण हो चुका है। अब बाबा जयराम दास धाम पर मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चला हुआ है जो कि लगभग चार करोड़ की लागत से इसका कार्य पूर्ण होगा। यह पैसा बाबा के सभी भक्तगण चंदे के रूप में दे रहे है, जिससे इसका निर्माण होगा। इसके साथ-साथ बाबा धाम का लगभग 20 एकड़ में इमारती लकड़ी फल फ्रूट पुष्टि व औषधीय पौधे लगाए गए हैं। बाबा के प्रांगण में भारत का सबसे ऊंचा लगभग 73 फुट का 9 मंजिल एक पक्षी घर भी बनाया हुआ है। जिसमें लगभग 3000 के आसपास पक्षी अपना बसेरा कर सकते हैं। इसके अलावा बाबा धाम पर एक मैरिज पैलेस का भी निर्माण किया गया है, जो कि लगभग 40 लाख की लागत से बनाया गया है। बाबा धाम पर उतरी भारत की सबसे बड़ी क्रिकेट की प्रतियोगिता का महाकुंभ ही होता है।  क्रिकेट ग्राउंड में 51 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण भी किया गया है। बाबा धाम पर लगभग 100 बाई 70 फुट का एक भंडार ग्रह भी बनाया गया है जिसमें एक साथ में लगभग एक हजार व्यक्ति बैठ कर प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। बाबा धाम पर दो सार्वजनिक धर्मशालाएं दो मंजिला बनाई गई हैं। एक धर्मशाला वीआईपी विश्रामगृह भी बनाया हुआ है। बाबा के मंदिर के पीछे एक लगभग ग्रामीणों के अनुसार हजार साल पुराना पीपल का पेड़ व बाबा का एक तालाब भी है। बाबा धाम पर पोधो की लुप्त होती प्रजाति जैसे इंडोख जाल आदि भी बाबा धाम के आसपास देखने को मिल जाते हैं।

1981 में शुरू की गई क्रिकेट प्रतियोगिता भी बनी अब उत्तर भारत की सबसे बड़ी क्रिकेट प्रतियोगिता

बता दे कि बाबा जयराम दास क्रिकेट प्रतियोगिता सन् 1981 में शुरू हुई थी। पहले टूर्नामेंट में मात्र 7 टीमों ने हिस्सा लिया था। उस समय एंट्री फीस केवल 11 रुपए थी। फाइनल मैच में बधवाना व गुढ़ा का मुकाबला हुआ जिसमें बधवाना प्रथम स्थान पर रही। उस समय प्रथम इनाम एक गिलास व उपविजेता टीम को एक कटोरी इनाम दी गई थी। सन 1981 में एक गिलास से शुरू हुआ यह शिलशिला बाबा के आशीर्वाद से आज उत्तरी भारत की सबसे बड़ी प्रतियोगिता के रूप में जाना जाता है। इस बार क्रिकेट प्रतियोगिता में प्रथम इनाम के रूप में 201000रुपए नकद व 500 ग्रांम चांदी का कप दिया जाएगा। वहीं दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 121000 रुपए व 250 ग्रांम चांदी का कप दिया जाएगा। इसके साथ-साथ मैन ऑफ द सीरीज विजेता खिलाड़ी को एक बाइक दी जाएंगी।  यहाँ का ग्राउंड बहुत ही जबरदस्त है। इस खेल के मैदान में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से दर्शकों के लिए पैविलियन का निर्माण भी किया गया है ताकि दर्शक यहां पर बैठकर मैच का आनंद ले सके।

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